दोस्त की बीवी की चुदाई
मेरा नाम कमल है. मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है. अभी तक मैंने रंडियां चोद कर ही अपने लंड के टोपे की खुजली को शांत किया है. मगर रंडी तो रंडी ही होती है. शुरू में जब पहली बार मैंने एक रंडी की चूत चोदी तो बहुत मजा आया लेकिन फिर धीरे-धीरे मजा आना कम होता चला गया. अब मेरा मन कुछ नया चाहता था. ढीली चूत मारने में मजा नहीं आता था मुझे. मुट्ठ भी मारता था लेकिन लंड की प्यास थी कि बुझने का नाम नहीं ले रही थी. मैंने अपने एक बचपन के दोस्त को फोन किया. उसका नाम राहुल था. हम दोनों लंगोटिया यार थे. लंगोटिया का मतलब तो आप जानते ही होंगे, लंगोट से लेकर लंड तक की बातें बेझिझक एक-दूसरे के साथ बांट लिया करते थे.मगर अब राहुल की शादी हो चुकी थी. बीवी के आने के बाद उसमें वो पहले वाली बात नहीं रही थी. अब वो परिवार वाला आदमी हो गया था. मगर फिर भी कुछ हद तक हमारे बीच में वही पुराना बचपन वाला दोस्ताना था. मैं उससे किसी नई चूत का इंतजाम करने के लिए कहता रहता था. लेकिन वो अपने काम में कुछ ज्यादा ही बिजी रहने लगा था आजकल. अक्सर मैं उसके घर चला जाता था. मैं उसकी बीवी को भाभी कहकर नहीं बुलाता था. हमेशा उसको नाम से ही बुलाता था. उसकी बीवी मस्त माल थी. उसका नाम मीना था. उसने भी मेरे ऊपर कभी भैया या इस तरह के कई और लंड-रोधक शब्दों का प्रयोग नहीं किया था.
जब उसके घर जाता था वो बड़े ही प्यार से मुझे बस एक स्माइल पास कर देती थी. ये मैं सिर्फ आप लोगों को बता रहा हूँ. राहुल के सामने मैंने कभी इस तरह की भावनाएं जाहिर नहीं की. वैसे मैंने कभी उसकी चुदाई के बारे में नहीं सोचा था क्योंकि वो मेरे बचपन के यार की बीवी थी. वैसे तो मैं उसकी काफी इज्जत करता था लेकिन जब कभी उसके चूचों की दरार दिख जाती थी तो मन बहकने लगता था. उसके चूचे गोल और तने हुए रहते थे. उसका सूट कई बार उसकी गांड में फंसा हुआ देखा था मैंने. काफी मस्त सी गांड थी उसकी. राहुल के घर उससे मिलने जाता तो रात को कई बार रुकना भी हो जाता था. उसके मां-बाप के साथ भी मेरी अच्छी बनती थी. चूंकि हम बचपन के दोस्त थे इसलिए राहुल की उम्र और मेरी उम्र में कोई खास फर्क नहीं था. वो मुझसे एक साल ही बड़ा था. मगर उसके घरवालों ने उसकी शादी जल्दी ही कर दी थी. उस वक्त मैं अपने बी.ए. के फाइनल इयर में था. राहुल एक कम्पनी में काम करता था इसलिए वो अधिकतर मौकों पर मुझे घर से बाहर ही मिलता था. ऐसे ही एक दिन मैं राहुल के घर गया तो मीना अकेली थी.
मैंने मीना से पूछा- राहुल कहाँ है? उसने बताया- वो तो ट्रेनिंग पर दो महीने के लिए जयपुर गये हैं. मैं वापस चलने लगा तो मीना ने मुझे चाय के लिए पूछ लिया. मैंने सोचा कि अब उसके घर आ ही गया हूं तो उसके माता-पिता का हाल ही पूछता चलूं. मेरे पूछने पर मीना ने बताया कि राहुल के माता-पिता यानि कि उसके सास-ससुर भी किसी प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन के लिए गये हुए हैं. मैंने सोचा कि जब कोई घर पर है ही नहीं तो फिर मैं यहां रुक कर क्या करूंगा. इसलिए मैंने मीना को चाय के लिए मना कर दिया और वापस चलने लगा. मीना बोली- पानी तो पी लीजिये. जब उसने कहा तो ऐसे अंदाज में कहा कि मेरे लंड में ठरक सी पैदा हो गई. उसकी आवाज में एक मदहोशी सी का अहसास हुआ मुझे जैसे कि वो मुझे रोकना चाहती है. मैंने वापस मुड़ कर देखा तो उसकी छाती पर से उसका दुपट्टा उतर चुका था और केवल एक ही कंधे पर लटक रहा था. उसके कसे हुए चूचे मेरी तरफ ऐसे तनकर इशारा कर रहे थे जैसे वो कह रहे हों कि आ जाओ राहुल … हम तुम्हारे हाथों तले दबने के लिए तड़प रहे हैं. शर्ट का गला काफी गहरा था और दोनों चूचों के बीच की दरार काफी खुली दिखाई दे रही थी. मंगलसूत्र की काली डोरी के नीचे उसके गोरे चूचों का उठाव मुझे कामुकता से भरे जा रहा था. वो हल्के से मुस्कराई और गांड मटकाती हुई किचन में चली गई. पानी का गिलास लेकर वापस आई और मेरे सामने कर दिया. मैंने गिलास पकड़ते हुए उसकी कोमल उंगिलयों को छू लिया. उसने हाथ वापस खींच लिया और मैं वहीं खड़ा होकर पानी पीने लगा.
उसने फिर कहा- आप इतने दिनों के बाद आये हैं, चाय तो पीकर जाइये. मैंने कहा- ठीक है, अगर दोस्त की बीवी इतना कह रही है तो फिर पी लेते हैं.मेरे मुंह से हां सुनकर वो हल्के से मुस्कराई और बोली- आइये न, अंदर बैठिए. वो आगे-आगे चलती हुई मुझे अपने ड्राइंग रूम में ले गई. सोफे पर बैठने के लिए मुझसे कहती हुई खुद सामने बिछे हुए सिंगल दीवान पर बैठ गई. उसने अपनी छाती के पल्लू को ठीक करते हुए पूछा- बताइये, क्या लेंगे, चाय या कॉफी. मैंने कहा- आपको क्या पसंद है? “जी?” उसने जैसे अनजान बनते हुए सवाल किया.
मैंने कहा- जो आपका दिल करे वो ले आइये. वो उठकर किचन में चली गई और मैं वहीं सोफे पर बैठा रहा. मैं वहीं हॉल में बैठा हुआ यहां-वहां देखते हुए टाइम पास करने लगा. थोड़ी ही देर के बाद वो प्लेट में एक कप चाय लेकर आई.
मेरे सामने आकर वो झुकी तो उसके सूट के अंदर उसकी सफेद ब्रा की पट्टी मुझे दिख गई. मेरा लंड उछल कर रह गया वो नजारा देखते ही. वो मुझे चाय का कप पकड़ाते हुए बोली- ये लीजिए कमल जी, आपकी चाय. मैंने कहा- मीना जी, मैं आपसे उम्र में छोटा हूं. आप मुझे जी मत कहो.
वो बोली- ठीक है, नहीं कहूंगी. कहकर वो सामने ही बैठ गई.
उसके माथे पर पसीना आ गया था. पल्लू से पसीना पौंछते हुए बोली- और बताओ कमल, घर पर सब कैसे हैं?
मैंने कहा- सब ठीक हैं. “आपने अपने लिये चाय नहीं बनाई?”
वो बोली- नहीं, मुझे चाय पीना ज्यादा पसंद नहीं है.
मैंने पलट कर पूछा- तो और क्या पसंद है आपको?
वो बोली- मैं जूस पीती हूं. “किसका?” मैंने अगला सवाल दागा.“मतलब?” उसने अनजान बनते हुए कहा. मैंने कहा- मेरा मतलब कौन सा जूस पसंद है आपको? वो बोली- कोई भी.
“मुझे लगा आप किसी और जूस की बात कर रही हो.”
मेरी बात वो समझ तो गई थी लेकिन वो ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे उसे कुछ समझ ही न आ रहा हो. इसलिए उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. फिर बोली- आप कब कर रहे हो शादी? मैंने कहा- अभी तो पढ़ाई पूरी कर लूं. नौकरी लगने के बाद कोई आप जैसी खूबसूरत सी लड़की पसंद आई तो कर लूंगा. मीना ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया. आगे की कहानी next पार्ट में आपको मिलेगी
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