सेक्सी पड़ोसन की चुदाई की मैंने! वो मेरी मकान मालकिन थी. गदर माल भाभी की चूचियां अति विशाल थी. मैंने कैसे जुगाड़ किया भाभी की चूत मारने का?
मैं pankaj , Punjab से हूं. हट्टा-कट्टा पहलवानी शरीर वाला मस्त लड़का हूं.
मेरा लंड सात इंच का है.
मैं फिलहाल पंजाब में अपनी पढ़ाई पूरी करके सिविल सर्विसेस की पढ़ाई रहा हूं इसलिए मैंने वहीं पर एक रूम किराए पर लिया हुआ है.
उसमें मैं और मेरा दोस्त रहते हैं.
मकान मालिक निचले फ्लोर पर अपने परिवार के साथ रहते हैं.
उनका नाम निखिल है और भाभी का नाम श्रया है. उनकी पत्नी को हम लोग भाभी कहकर बुलाते हैं. उनकी 2 साल की बेटी भी है
भाभी के बदन को विस्तार से बताऊं तो वो एकदम टाइट माल हैं. भाभी की गांड छत्तीस इंच की है और चूचियां चौंतीस इंच की एकदम ठोस हैं.
उनकी चूचियां उनके ब्लाउज से बाहर निकलती हुई दिखती हैं. जिन्हें देख कर किसी के भी लंड में पानी आ जाए … भाभी ऐसा ग़दर माल हैं.
मैं उनको याद करके हमेशा मुठ मार लिया करता था.
रात को देर से आने के बाद हम दोनों खाना खाकर सो गए.
दूसरे दिन जब हमने श्रया भाभी को देखा तो मैं कुछ सोचने लगा क्योंकि मैंने लॉकडाउन से पहले घर जाते वक्त भाभी को देखा था, वो अभी भी ठीक वैसी ही दिख रही थीं. उनके फिगर में कोई बदलाव नहीं आया था.
मैंने सोचा था कि लॉकडाउन में पति ने चोदकर भाभी की चुत का भोसड़ा बना दिया होगा और चूचियां ढीली कर दी होंगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.
रोज आते जाते वक्त हम एक दूसरे को देखते, तो भाभी मुझे देखकर मुस्कुरा देतीं.
मैं भी हल्के से मुस्कुरा देता पर मेरी नजरें कहीं और ही रहती थीं.
भाभी मेरी कामुक नजरों को भांप लेती थीं पर कुछ नहीं कहती थीं.
यह सिलसिला यूं ही जारी रहा.
ऐसे ही हम दोनों आंखों में ही बात कर रहे थे. मुझे बोलने का कोई मौका मिल ही नहीं रहा था.
रविवार आया … भैया के ऑफिस को छुट्टी थी पर उस दिन सुबह भैया सुबह से ही कार लेकर किसी काम से बाहर निकल गए थे.
मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची.
दोपहर को मुझे मेरे रूममेट के साथ उसके रिश्तेदार के पास जाना था तो मैंने बहाना बनाकर उसे मना कर दिया और वहीं रूम पर रुक गया.
घर में मैं और भाभी ही रह गए थे. मैं भाभी के रसीले चूचों को याद करते हुए अपने लंड से खेल रहा था.
तभी मुझे एक आईडिया आया कि बिजली जाने के बहाने उनके घर जाने का मौका मिल जाएगा.
शाम हो चुकी थी और अंधेरा छा गया था.
अभी तक भैया आए नहीं थे तो मैंने मौके पर चौका मारने की सोची.
मैंने इधर उधर देखते हुए धीरे से जाकर मीटर के पास वाला फ्यूज निकाल दिया.
इससे पूरे मकान में अंधेरा छा गया.
मैं फ्यूज निकालने के तुरंत बाद अपने रूम में वापस आ गया ताकि किसी को शक ना हो.
कुछ ही देर बाद भाभी मोबाइल की टॉर्च से देखती हुई मेरे रूम की तरफ आ गईं और उन्होंने मुझे आवाज दी.
मैंने झट से दरवाजा खोल दिया.
उन्होंने उस समय एक बड़ी ही टाइट नाईटी पहनी हुई थी.
उस नाईटी में से भाभी के बूब्स तो ऐसे उभार बनाए हुए थे जैसे अभी नाईटी फाड़ कर बाहर ही आ जाएंगे.
मोबाइल की टॉर्च में मेरी नजर उनके मम्मों पर ही टिकी हुई थी.
उन्होंने मुझे अपने मम्मे घूरते हुए देख लिया.
भाभी- देखो ना पंकज , अपने ही मकान की बिजली चली गई है. मुझे तो अंधेरे से बहुत डर लगता है.
मैं- आप चिंता न करें भाभी, मैं अभी देखता हूं कि क्या समस्या है.
अब हम दोनों भाभी के घर वाले हिस्से में चले गए.
उस वक्त भाभी की छोटी बच्ची अन्दर कमरे में सो रही थी.
मैं नाटक करते हुए देखने लगे कि क्या समस्या है.
चूंकि सब किया-धरा तो मेरा ही था तो मैं बस यूं ही समय बिता रहा था.
मैं बाहर फ्यूज वाले बॉक्स को चैक ना करते हुए अन्दर एमसीबी बोर्ड चैक करने के लिए उनके घर के हॉल में पहुंच गया.
मैं टेबल पर खड़े होकर एमसीबी बोर्ड को चैक कर रहा था.
तभी मेरा पैर फिसल गया और मैं उनके ऊपर गिर पड़ा.
मेरे दोनों हाथ उनके रसभरे मम्मों पर लग गए थे और मेरा चेहरा बिल्कुल उनके चेहरे पर ऐसे टिका हुआ था जैसे कि कोई मूवी सीन चल रहा हो.
वो कुछ बोल पातीं, इससे पहले मैंने हिम्मत करके झट से भाभी के होंठों पर अपने होंठ टिका दिए.
पहले पहल तो भाभी थोड़ा छटपटा कर छूटने की कोशिश कर रही थीं लेकिन मैं भाभी को कहां छोड़ने वाला था.
थोड़ी देर बाद जब उन्हें मजा आने लगा तो वो भी जोश में मेरा साथ देने लगीं.
ऐसे ही दस मिनट किस करने के बाद मोबाइल की टॉर्च का सहारा लेते हुए मैंने भाभी को गोद में उठाया और दूसरे वाले कमरे में ले जाकर बेड पर लेटा दिया.
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