रोहित के खुशी का ठिकाना नहीं रहा, हमें निप्पल को मुह में लेकर बड़ी जोर से चुनने लगा। दीदी की मुह से लार निकल गई। पर ये सब से अंजान में और श्रया दोनो बहार खेल ही रहे थे, के दीदी की आवाज सुनकर श्रया दरवाजे की या भागी, मैं उसके पीछे भागा, पर मैं उसे रोक पाता, उससे पहले ही, वो दरवाजा खोल अन्दर पहुँच गये और .
लेकिन दीदी की आंखे बंद तुम और सिसकिया लेटे हुए वो दरवाजे खुलने की आवाज को सुन नहीं पाई थी, और दीवार से सत के अपनी चुची चुस्वा रही थी रोहित से।रोहित का काला मुह दीदी की विशाल गोरी छुची के अंदर दशा हुआ था, और उसके मुह से चुनने की आवाज अरही थी, "पच्छ... मम्ह्ह ... सस्लुर्प्प ... मह .. चप ... छप्प ... चुस्स ... " मानो वो दीदी का तो .
दीदी भी मस्ती में जागे निकल रही तुम। मैंने सोचा श्रया खेल खिला दूंगा, तो मैं श्रया को वहा से लेकर बहार भागा। में डरा हुआ था के पता नहीं उपयोग क्या समझौता। और उसे पुछा भी पर सवाल इतना आसान था के मैं उपयोग आसन से समझौता दिया...
श्रया ———माँ, अंकल मेरा दूध क्यू पी रहे हैं ??
में —--एह… एह… वो उनको बहुत भुख लगी थी, न इसलिये। मम्मी को फिर खाना बनाना पढता तो मम्मी थोड़ा दूध अंकल को पिला रही है। तुम परेशान मत हो, वो बस थोड़ा ही देखेंगे।
ये सुनकर संन्तुष्टी हुई पर वो फिर और जाने की जिद करने लगी, तो मैंने फिर उसे बाहर ही रोका रखा
उसके सर को अपनी चुचियो पे दबा रही थी। दोनो अच्छी तरह से चुनने और काटने के बाद
रोहित — ममता तुम्हारी चुचिया तुम्हारे गाजर के हलवे की तरह मुलायम और मीठी है। मैं उसे प्यार कर रहा हुँ। हाहा…
दीदी की चुचियो पे उसके लगे ठुक चमक रहे थे। दीदी ने अपना पल्लू से उपयोग पोंछते हुए कहा…दीदी ---- रोहित जी आपतो कुवारे लड़कों की तरह चूस रहे थे। इतना पसंद आई मे आपको ??
रोहित —-लगता है, तुम्हारा पति तुम्हारी जिस्म का इस्तमाल ठीक से नहीं कर पाता है।
दीदी —-वो किसी काम का नहीं, इसलिए तो मैं अकेला दिन भर तड़पती रहती हूं 9 माहिने तक। अब अपने बदन की गरमी को ठण्डक मिलेगी
इतने में रोहित अपनी शर्ट और पेन्ट उतार के अलग फेकता है और दूसरी तरफ दीदी भी अपनी साड़ी को खोल उतार फेंकी। और फिर जब देखा तो रोहित का काला तगड़ा लंड देख दीदी मस्त हो गई , 7 ”लंबा और 3” मोटा लंड, नसो से जढा हुआ। दीदी की मुझे तबी गुडगुड़ी होने लग गई।
उधर बाहर का और श्रया जाने की जिद में रोने लगी थी, और मुझे भी अंदर का नज़ारा देखने का बहुत मन था। मैंने एक चालाकी करने के लिए। मैंने श्रया से कहा, के देखो श्रया, और दूध पीकर अंकल मम्मी के साथ थोड़ा खेलेंगे, तो अगर तुम वादा करो के चुप चाप मेरे साथ खेल देखोगी तो मैं तुम्हें और ले जऊगा। इसपर वो खुश होकर बोली...
श्रया --- - ठीक है, माँ। में एकदम आवाज नहीं करूंगी, पर वो क्या खेलेंगे?
में ----छुपकर देखो।
श्रया —-ये कैसा खेल है?
में —-चल कर देखोगी तबी तो सिखोगी।
और फिर मैंने श्रया का हाथ पकड अहिस्ते से उन दोनो को डिस्टर्ब किया बिना और यहां का कहे में जकार टेबल के आढ़ चुप गया। दोनो चुप चाप बैठकर सब देखने लगे, पर हर 5 मिनट में श्रया मेरे कान में पुछती के ये क्या हो राहा है। और मैं कुछ ना कुछ बोलकर खेल का हिस्सा बताता हूं। हमने देखा... रोहित पुरा नंगा था और दीदी सिरफ साया या पेटीकोट में खादी में राही है। श्रया - मामा अंकल क्यो नहीं जा रहे हैं?
में —- नहीं बेटा, ये खेल ही खेलते हैं। मम्मी भी नंगी होगी। चुप चाप देखो।
रोहित दीदी के पास ही था, दीदी के होठो पे चूमने लगा... दोनो के होठ और जुबान एक दसरे को चूस रहे थे। और इधर रोहित का एक हाथ दीदी का साया को ऊपर करने लगा, और फिर अपना हाथ दीदी के जोड़े के बिच लाया, हमें हाथ को ढके हुए थे। उसके खराब जिस तरह दीदी के मुह से सिसकिया छुटी और जोड़ी खड़े खड़े खुल गए, पता लगा रोहित की उनगली उसकी चूत में घुसकर करताब कर रही है। दीदी और जोश मे चूमने लगी। दीदी के इस रूप से मैं अंजान था, तो देख कर बालों तो था, लेकिन फिर मजा भी बहुत आ रहा था। जी कर रहा था के अपना लौड़ा निकल कर मूथ मरलू, पर श्रया पास ही बैठी।
उसी वक्त रोहित दीदी के सामने अबैथा, और दोनो हाथ साया के अंदर डालकर साया को अलग किया तो देखा दीदी की लाल चड्डी यानी पैंटी निकला लिया, और फिर नाक के पास लेकर सूंघ कर बोला…
रोहित --- - सूंघ ... सूंघ ... हम्ह्म ... तेरी चूत की खुशबू बिलकुल तेरी मटन कबाब की तरह है ... लाओ जरा इस्के स्वद भी चख लूं ...
रोहित की बात सुंनकर तो मेरी भी हलत खराब हो राही तुम। मैने श्रया से कहा...
में —- देखो श्रया मैं भी नंगा होकर देखता हूं कैसे खेलते हैं।
उसने भलेपन में हा कहते ही, मैंने अपनी पेन्टऔर चड्डी अलग करके अपने लंड को बहार करके मुंह पक्का लिया। वो बस मुझे देख रही तुम, पर चुप तुम। दुसरी तरफ रोहित ने दीदी के साया को ऊपर उठा के और झंकार कर कहा...
रोहित---इतनी सती हुई चूत !! एक बच्चा होने के बुरे भी? ऊपर से इतने बाल...!!!
दीदी बस अपनी उनगली मुह में देकर रोहित की ओर देखा और थोड़ा मुस्कान। रोहित साया के अंदर घुस गया, और फिर दीदी की मोती मोती जंघो को चूमते हुए जांगो के बिच जा पाहुचा। दीदी एकदम कसमसा गई, और उसके घुटने बिलकुल थार काम करने लगे। उसकी मुह से सिसकारिया चिलते हुई निकली…
दीदी ———ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ः…. आंगघ… .. हे भगवान…। शश... अनंघ...
तबी श्रया बोल पड़ी…
श्रया ———माँ, अंकल क्या कर रहे हैं?
में ———हैं, वो… वो… एह… मम्मी ने अपनी साया में एक चीज छुपाई है, जो अंकल घुस्कर ढूंढ़ रहे हैं। अब चुप से देखो। कुछ डेर यूही चूत चटाई चलने के खराब दीदी जोर से गाल कर झड़ने लगी....
दीदी —- आआआआआआआआआआह…। रे ... माई रे ... माई ... मम्ह्ह ... गई तो ... शश ...
इसके साथ ही दीदी अलग बैठा गई, और रोहित साया से बहार आ गया ! ये देख कर श्रया फिर बोली...
श्रया ———माँ, मम्मी चिल्लयी क्यू ??
में - वो ... एह ... अंकल ने वो चीज ढूंढ ली ना, तो मम्मी थोड़ी दुखी होगी।
दीदी का गोरा मुह झड़ने के खराब लाल पद गया था, उसके लिए नशीली होगी थी। उसे रोहित के लंड को एक हाथ से थामा और कहा…।
दीदी — ऐसा गहरा एहसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ धन्यवाद, लाओ मैं हिला देता हूं।
पर रोहित उसे हाथ हटा और खड़ा होकर अपने लोडे को उसकी मुह में जबरन दाल दिया। दीदी थोड़ा नाटक करने के खराब लंड को आइसक्रीम की तरह चुसने लगी। देखते ही देखते लंड रॉड की तरह तख्त होगा, और रोहित ने इस्तेमाल दीदी की मुह से निकल कर दीदी के हाथ पकड के ऊपर तना, तो दीदी खडी हो गी, उसे दीदी को ढकेलकर पास के बिस्तर में गिरा दिया। दीदी पेट के बाल गिर पड़ी। रोहित दीदी के पिचे बिस्तर के किनारे खड़ा होना कहा...रोहित---चल, रंदी अब तेरी चौड़ी गाढ़ का तबला बजाउंगा, जल्दी से कुटिया बन।
दीदी कुटिया की पोजीशन में आई तो मैं भी देखता रहा, बहुत बड़ी गाढ़ थी दीदी की। दीदी इतनी अशलील औरत है, मैंने गौर ही नहीं किया था पहले। अब तो मन ही मन सोचने लगा के जाने के खराब मैं अपनी दीदी का अकेला पान दूर करुंगा और किसको शक भी नहीं होगा के भाई बहन घर में चुदाई करते हैं। . दीदी के मुह से…
दीदी —- आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ः.. अरे … र… राम .. जी… क्या बड़ा है, इश्ते कर बिक्री हो … हम्म …। आंगघ्ह … .आंन्ह…
ये देख श्रया फिर बोली --- - अंकल मम्मी को मार रहे हैं। मम्मा मम्मी को बचाओ।
मा
में —- हैं याही तो खेल है। चुप चाप देखो।
रोहित बिस्तर के किनारे पर खड़ा, बिस्तर के ऊपर घुटनो के बल बैठी दीदी के कमर को दबोचा हुआ धापा धप चोद रहा था। दीदी के गांड पे थप्पड़ लगा कर और जोर से चोदने लगा। दीदी का घुटना इस तेज़ चुदाई से ठक गया तो वो पेट के बाल बिस्तर पे ले गई, पर रोहित लंड और रख कर बिस्तर पे चढ गया और उसकी चुत्तर पे बैठक आराम से ठक्कर ठक करने लगा। दीदी की मोती गाढ़ उसकी हर ठुकाई से हिल रही थी। बिस्तर भी दर्द से ''कक्नन्न...ककन...'' की आवाज कर रहा था।
वो दीदी के सामने अपनी जोड़ी फेला कर बैठा और दीदी को अपने ऊपर आकर बैठा को बोला, तो दीदी चल कर उसके घुटनो के दो तराफ अपने जोड़े फेलये हुए उसे लंड पे अहिस्ते से बैठे ने। रोहित ने अपने लंड को सही निशाने पर लगते ही लंड मक्खन की तरह और धंस्ता चला गया। दीदी की मुह से निकला .. ”आंंग … हम्म्ह ..”।
दीदी की कमर उसे कमर पे फिट होगी, और उसे दीदी की मोती कमर को थम लिया आपने हाथो में रोहित की मुह से भी सियाकरिया निकलने लगी, दीदी की स्पीड बढ़ने लगी, और हर अच्छे के साथ दीदी की दो सुडोल चुचिया भी हिलने लगी थी।
इसपर दीदी को स्वर्ग का मजा आने लगा था, और phir uske baad mujhe प्रमोशन मिल गया
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